Friday 22nd of November 2024

UP Lok Sabha Election 2024: चुनावी इतिहास के आईने में शाहजहांपुर, इस जिले का जंगे आजादी में रहा है बड़ा योगदान

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  May 11th 2024 04:26 PM  |  Updated: May 11th 2024 04:26 PM

UP Lok Sabha Election 2024: चुनावी इतिहास के आईने में शाहजहांपुर, इस जिले का जंगे आजादी में रहा है बड़ा योगदान

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP:  यूपी का ज्ञान में चर्चा करेंगे शाहजहांपुर संसदीय सीट की। इस जिले को 'शहीद गढ़' या 'शहीदों की नगरी' के नाम से विख्यात इस शहर का नाता काकोरी कांड के क्रांतिवीरों से रहा है। बरेली मंडल के इस जिले की सीमाएं सात जिलों से जुड़ी हुई हैं। ये जिले हैं बरेली, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद और बदायूं।

पौराणिक महत्व के इस जिले का जंगे आजादी में बड़ा योगदान

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म यहां के जलालाबाद क्षेत्र मे हुआ था। जहां के जमदग्नि आश्रम से करीब दो किलोमीटर पूर्व दिशा में अति प्राचीन मंदिर के अवशेष आज भी विद्यमान हैं। ये स्वतंत्रता संग्राम में प्राणों की आहुति देने वाले वीरों की भी धरती रही है। 1857 की जंगे आजादी के दौरान फैजाबाद में जंग शुरू करने वाले अहमद उल्लाह शाह बाद में शाहजहांपुर आ गए थे। आज भी वहां इनकी मजार है। इसी शहर में काकोरी ट्रेन लूट कांड से जुड़े तीन महान क्रांतिकारियों का जन्म हुआ। ये क्रांतिवीर थे...शहीद अशफाक उल्ला खान, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह।

कांग्रेसी दिग्गज जितेन्द्र प्रसाद के इस क्षेत्र का योगी सरकार में भी दबदबा

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र प्रसाद यहीं के थे। वह राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा के शासनकाल में प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार रहे थे। उनके बेटे जितिन प्रसाद यूपीए शासनकाल में केंद्रीय मंत्री थे, अब बीजेपी का हिस्सा है और योगी सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं। यहां से नौ बार विधानसभा चुनाव जीते सुरेश खन्ना यूपी के वित्त मंत्री हैं। यहां के जेपीएस राठौर सहकारिता राज्य मंत्री हैं। मिथलेश कुमार राज्यसभा सदस्य हैं। नवेंदु सिंह अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य हैं। साल 2018 में नगर निगम बने शाहजहांपुर में पिछले साल हुए चुनाव में बीजेपी की अर्चना वर्मा यहां की पहली मेयर चुनी गईं।

शाहजहांपुर के चर्चित हस्तियां

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस के चौथे सरसंघचालक रज्जू भैया का जन्म भी यहीं हुआ था। मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और विवादित नेता स्वामी चिन्मयानंद भी यहीं के हैं। धर्मगुरु आसाराम को सजा दिलाने वाली पीड़िता का परिवार भी यहीं से ताल्लुक रखता है।  यहां के कुंडरा गांव के राजपाल यादव बॉलीवुड जगत का चर्चित चेहरा हैं। भारतीय स्काउट गाइड के पहले कमिश्नर श्रीराम बाजपेई यहीं पैदा हुए।

जिले के प्रमुख धार्मिक  व पर्यटन स्थल

जन मान्यता है कि शाहजहांपुर के सुनासीर नाथ मंदिर में भगवान शिव ने आराधना की थी। जिले का हनुमान धाम अति प्रसिद्ध है। जहां उत्तर भारत की पहली और देश की चौथी सबसे ऊंची प्रतिमा मौजूद है। यहां के टाउन हाल का काशी विश्वनाथ मंदिर, काली बाड़ी मंदिर, चौकसी नाथ मंदिर, फूलमती माता का मंदिर, मोहनगंज का गुरुद्वारा श्री कुटिया साहेब श्रद्धालुओं के आकर्षण का बड़ा केन्द्र हैं। अशफाक उल्ला खान की मजार, शहीद द्वार, राम प्रसाद बिस्मिल स्मारक यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।

विकास से संबंधित आयाम

इस जिले मे  रिलायंस का थर्मल पावर प्लांट है। यहां पेपर मिल, शराब फैक्ट्री, खाद फैक्ट्री और पांच चीनी मिलें भी हैं। आर्डनेन्स क्लोदिंग फैक्ट्री के अलावा जिले में करीब डेढ़ सौ राइस मिलें, दर्जन भर फ्लोर मिलें हैं। तो कृत्रिम मानव अंग बनाने की यूनिट भी यहां मौजूद है।

चुनावी इतिहास के आईने में शाहजहांपुर

शुरुआती दो आम चुनावों में डबल सीट वाले 18 क्षेत्रों में शाहजहांपुर भी शामिल था। 1952 को कांग्रेस के टिकट से सामान्य सीट से रामेश्वर प्रसाद नेवतिया और सुरक्षित सीट से गणेशी लाल चौधरी चुनाव जीते। 1957 में बिशनचंद्र सेठ और नारायण दीन सांसद चुने गए। 1962 में इसे सुरक्षित सीट घोषित कर दिया गया तब सोशलिस्ट पार्टी के लाखनदास सांसद बने। 1967 से 1999 तक ये सामान्य सीट रही। 1962 और 1967 में कांग्रेस के प्रेम किशन खन्ना चुनाव जीते। 1971 में कांग्रेस के जितेन्द्र प्रसाद चुनाव जीते। 1977 में जनता पार्टी के सुरेन्द्र विक्रम सिंह ने जितेन्द्र प्रसाद को हरा दिया। 1980  और 1984 में जितेन्द्र प्रसाद चुनाव जीते।

नब्बे के दशक के आगाज के साथ ही यहां बीजेपी और सपा का उभार हुआ

साल 1989 व 1991 में बीजेपी के सत्यपाल सिंह यादव यहां के सांसद बने। 1996 में सपा के राममूर्ति वर्मा को मौका मिला। तो 1998 में फिर सत्यपाल सिंह ने ये सीट जीत ली। 1999 में जीत की बाजी जितेंद्र प्रसाद के हाथ लगी। चौथी बार सांसद बने। 2001 के उपचुनाव में राममूर्ति वर्मा सपा से संसद पहुंचे। 2004 में जितेन्द्र प्रसाद की विरासत को आगे बढ़ाते हुए उनके बेटे जितिन प्रसाद ने जीत हासिल की। 2009 में ये सीट आरक्षित हो गई। यहां से सपा के मिथिलेश कुमार चुनाव जीते।

बीते दो आम चुनावों में बीजेपी का परचम फहराया

साल  2014 की मोदी लहर में इस सीट से बीजेपी की कृष्णा राज ने जीत दर्ज करके यहां की पहली महिला सांसद बनने का गौरव हासिल किया। साल 2019  के आम चुनाव मे बीजेपी के अरुण सागर ने जीत का परचम फहराया। उन्होंने बीएसपी के अमर चंद्र जौहर को 2,68,418 वोटों के मार्जिन से मात दी।

आबादी के आंकड़े और जातीय ताना बाना

इस संसदीय सीट पर 23, 28,209 वोटर हैं। जिनमें से सर्वाधिक तादाद मुस्लिम वोटरों की है। तकरीबन सवा चार लाख मुस्लिम वोटर हैं। 3 लाख  क्षत्रिय, 2.5 लाख यादव और इतने ही जाटव हैं। 2 लाख कश्यप और 1.75  लाख ब्राह्मण वोटर हैं।

बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने क्लीन  स्वीप किया

अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व शाहजहांपुर संसदीय सीट के तहत जलालाबाद, कटरा, तिलहर, ददरौल, शाहजहांपुर और पुवायां विधानसभा सीटें आती हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी पर जीत हासिल कर ली थीं। तब कटरा से वीर विक्रम सिंह, जलालाबाद से हरि प्रकाश वर्मा, तिलहर सलोना कुशवाहा, पुवायां सुरक्षित से चेतराम पासी, शाहजहांपुर सदर से सुरेश कुमार खन्ना, ददरौल से मानवेंद्र सिंह विधायक बने।

विधानसभा सीट ददरौल पर हो रहे है उपचुनाव

पिछले साल दिसंबर महीने में बीमारी के चलते ददरौल के विधायक मानवेंद्र सिंह का निधन हो गया था। इस विधानसभा सीट पर अब हो रहे उपचुनाव के लिए बीजेपी ने इनके बेटे अरविंद सिंह को प्रत्याशी बनाया है। जबकि सपा ने पूर्व मंत्री अवधेश वर्मा और बसपा ने सर्वेश चंद्र मिश्रा धांधू को मैदान मे उतारा है।

मिशन 2024 की चुनावी बिसात पर सभी दल संघर्षरत

लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने फिर से अरुण सागर पर ही ऐतबार करते हुए चुनाव मैदान में उतारा है। सपा की तरफ से ज्योत्सना गोंड और बीएसपी से दोदराम हैं। यहां के सपाई खेमे में दिलचस्प नजारा दिखाई दिया। पहले यहां सपा के सिंबल से राजेश कश्यप ने नामांकन किया था लेकिन तकनीकी वजहों से उनका पर्चा खारिज हो गया लिहाजा सपा ने हरदोई निवासी ज्योत्सना गोंड को  प्रत्याशी बनाया। ज्योत्सना सपा के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप की भांजी हैं। वहीं, कुंडरिया गांव के दोदराम वर्मा निगोही के आदर्श इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से रिटायर हैं। वर्ष 1986 से दो वर्ष तक अवैतनिक अवकाश लेकर लोकसभा सचिवालय में हिंदी सहायक भी रहे। इस क्रांति धरा पर हो रहे चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय बना हुआ है। 

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