ब्यूरो: UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में साल 2024 बड़े उलटफेर देखने को मिल रहा है। लोकसभा चुनाव हो या फिर उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम, दोनों ही चुनावों ने प्रदेश की राजनीति को नई दिशा दी है। अमेठी, रायबरेली लोकसभा सीट पर हुए आम चुनाव और कुंदरकी उपचुनाव के नतीजों ने न सिर्फ प्रदेश की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी है, बल्कि केंद्र की राजनीति को भी खास संदेश दिया है।
पहले बात करते हैं उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा सीट की। अमेठी सीट कांग्रेस पार्टी का गढ़ मानी जाती रही है। लेकिन साल 2019 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी की स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के राहुल गांधी को हरा दिया। लेकिन साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट को बचाने में कामयाब रही। कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा ने चुनाव जीत दर्ज की।
राहुल गांधी ने बचाया कांग्रेस का किला। अमेठी के बाद रायबरेली सीट पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा है। सोनिया गांधी के राज्यसभा में जाने के बाद इस सीट पर राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाकर उतारा गया। साल 2019 लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर हार का सामना करने के बाद कांग्रेस पार्टी ने 2024 के चुनाव में राहुल गांधी को रायबरेली सीट से मैदान में उतारा। कांग्रेस के लिहाज से रायबरेली सीट को सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती रही है। आम चुनाव 2024 में राहुल गांधी ने जीत दर्ज करने के लिए खूब पसीना बहाया। राहुल गांधी ने 6 लाख से अधिक वोटों से रायबरेली में जीत दर्ज की।
सपा को लगा झटका, कुंदरकी सीट पर हार
उत्तर प्रदेश की कुंदरकी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के परिणामों ने धर्म की राजनीति करने वालों के लिए बड़े संदेश दिया है। 64 फीसदी मुस्लिम बाहुल्य कुंदरकी सीट में 12 में से 11 मुस्लिम प्रत्याशी थे, यहां बीजेपी ने रामवीर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा। जब 9 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आए तो इसमें सात सीटों पर एनडीए ने जीत दर्ज की। वहीं सपा के मोहम्मद रिजवान दूसरे नंबर पर रहे।
निष्कर्ष के रूप में देखें तो, ये साल यूपी की सियासत में भूचाल जैसा रहा। लोकसभा में जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों को झटका लगा, तो वहीं उपचुनाव में बीजेपी की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि साल 2027 की राह इतनी आसान नहीं है।