समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आज़म खान को मंगलवार को बड़ी राहत मिली, जब एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें भड़काऊ भाषण देने के एक मामले में बरी कर दिया। यह मामला 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार से जुड़ा था, जहाँ खान पर 23 अप्रैल 2019 को एक रैली के दौरान चुनाव आयोग के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणी करने और मतदाताओं को भड़काने का आरोप लगाया गया था। तत्कालीन एसडीएम द्वारा 24 अप्रैल 2019 को सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के बाद, अदालत ने आज पुलिस की ओर से सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।
यह मामला 2019 के लोकसभा चुनावों से जुड़ा है। तत्कालीन एसडीएम पीपी तिवारी ने रामपुर के मिलक थाना क्षेत्र के खटनगरिया गाँव में एक रैली में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में खान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। रैली के दौरान, खान ने कथित तौर पर रामपुर के तत्कालीन डीएम अंजनेय कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उम्मीदवार संजय कपूर पर टिप्पणी की थी। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि खान ने चुनाव आयोग को "भ्रष्ट" करार दिया और मतदाताओं को ध्रुवीकरण के लिए उकसाया । खान ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता था, और यह मामला चुनाव आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों में से एक था।
आजम खान आज इस मामले में दोपहर को सुनवाई के लिए अदालत में पेश हुए। दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया। अदालत ने प्रक्रियागत खामियों के लिए जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के भी आदेश दिए।
अभियोजन और बचाव पक्ष, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद , एमपी-एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए आजम खान को भड़काऊ भाषण मामले से जुड़े सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत के बाहर समर्थकों ने राहत और खुशी का इज़हार किया। अदालत ने कहा कि पुलिस खान के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश करने में नाकाम रही, जिसके चलते उन्हें बरी कर दिया गया। इसके अलावा, अदालत ने मामले से जुड़े जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए।