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अधिकारियों के सामने किसान की आत्महत्या, बीकेयू का प्रदर्शन, दी चेतावनी

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Mohd. Zuber Khan  |  April 03rd 2023 07:15 AM  |  Updated: April 03rd 2023 07:19 AM

अधिकारियों के सामने किसान की आत्महत्या, बीकेयू का प्रदर्शन, दी चेतावनी

ग़ाज़ियाबाद: दिल्ली से सटे ग़ाज़ियाबाद के मोदीनगर में 1 अप्रैल को शिकायत का समाधान न होने पर, संपूर्ण समाधान दिवस में आहत बुजुर्ग किसान ने, अफ़सरों के सामने अपने हाथ की नस काट ली थी। ख़ून की धार बहती देख आनन-फानन में घायल किसान को स्थानीय सीएचसी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत को देखते हुए मेरठ अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया, लेकिन घायल किसान की रास्ते में ही मौत हो गई।

ताज़ा मामले में इस घटना से आक्रोशित किसान मोदीनगर तहसील का घेराव करने पहुंचे। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले तहसील किसानों ने ज़िम्मेदार अधिकारियों पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसानों को समझाने की भारी कोशिश की, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका।

आपको बता दें कि मोदीनगर तहसील में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में काफी संख्या में फरियादी अपनी शिकायत के समाधान के लिए पहुंचे थे। इनमें गांव डिडौली निवासी बुजुर्ग किसान सुशील त्यागी भी शिकायत सुन रहे अफ़सर एसडीएम शुभांगी शुक्ला, एसीपी रितेश त्रिपाठी के सामने पहुंचे। उन्होंने लेखपाल पर ज़मीन की सही पैमाइश न करने का आरोप लगाया और अफ़सरों पर नाराज़गी जताते हुए ख़ुद की कलाई पर धारदार वस्तु से वार करते हुए नस काट ली।

यह देख वहां अफ़रा-तफ़री मच गई और अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। घायल को सीएचसी अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें मेरठ अस्पताल रेफर कर दिया। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई। सूचना पर पहुंचे परिजन, पुलिस के साथ शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गए। हालांकि परिजनों की तरफ़ से इस बाबत पुलिस में अभी तक कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है।

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दरअसल किसान सुशील त्यागी की डिडौली गांव में आबादी से सटी क़रीब एक बीघा जमीन है। आरोप है कि ज़मीन के कुछ हिस्से पर लोगों ने क़ब्ज़ा कर लिया था। किसान का कहना था कि ज़मीन को बेचने के लिए सौदा किया तो ख़रीददार पैमाइश के मुताबिक़ उनसे ज़मीन को क़ब्ज़ामुक्त कराने को कह रहा था।

ज़मीन क़ब्ज़ामुक्त न होने पर उसने पेशगी में दिए रुपए लौटाने की बात कह दी। वह तहसील में ज़मीन की पैमाइश कराकर क़ब्ज़ा मुक्त कराने के लिए तीसरी बार तहसील पहुंचा। उन्होंने लेखपाल पर क़ब्ज़ेदारों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा था कि अधिकारी भी लेखपाल के कहने में हैं।

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