ब्यूरो: Uttarakhand News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बड़ी बहन शशि पयाल ने सिफारिशों के बजाय अपनी लगन और मेहनत से आत्मनिर्भर बनने की मिसाल कायम की है। उन्हें 2003-04 में चाय की दुकान खोलने के लिए वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना के तहत धन मिला था। आज स्वरोजगार की प्रतीक के रूप में शशि पयाल का अनुसरण उनकी बहू शिवानी पयाल कर रही हैं, जो सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए सशक्त बना रही हैं।
शशि पयाल पौड़ी जिले के कोठार गांव में रहती हैं, जो यमकेश्वर ब्लॉक का हिस्सा है। उन्होंने और उनके पति पूरन सिंह पयाल ने खुद के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत मिले धन की मदद से गांव में एक चाय की दुकान खोली।
उनके प्रयास रंग लाए और समय के साथ दुकान से मिले पैसे ने उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद की। शशि अब अपने दम पर आजादी की मिसाल कायम करने के बाद लोगों को स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
उनकी बहू शिवानी पयाल भी स्वावलंबन की राह पर चल रही हैं। वह गांव की महिलाओं को स्वरोजगार के बारे में जागरूक कर रही हैं। बहुउद्देशीय सहकारी समिति किमसार की सचिव के रूप में शिवानी स्थानीय महिलाओं को कृषि, मुर्गीपालन, पशुपालन व अन्य क्षेत्रों में काम दिलाने में मदद करती हैं।
अभी तक 400 से ज्यादा महिलाएं बनीं हिस्सा
शिवानी के प्रयासों का ही नतीजा है कि समिति में अब 400 से अधिक महिला सदस्य हैं। महिलाएं समिति का उपयोग अपना माल बेचने और सहकारिता विभाग की योजनाओं का लाभ उठाने में कर रही हैं। हाल ही में देहरादून में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर शशि पयाल अपनी पुत्रवधू शिवानी के साथ कार्यक्रम में पहुंची थीं। उन्होंने अपने संघर्ष और स्वावलंबन की कहानी साझा की।
शिवानी ने बताया कि सरकार की दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के तहत महिलाओं को एक से तीन लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
शशि पयाल बोलीं- मुझे अपने भाई पर गर्व
शशि पयाल ने बताया कि उनके परिवार में कुल सात भाई-बहन हैं। इनमें वह तीसरे नंबर की हैं, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांचवें नंबर के हैं। शशि ने कहा कि उन्हें अपने भाई योगी आदित्यनाथ पर गर्व है, लेकिन उन्होंने कभी उनके नाम का सहारा नहीं लिया। वह खुद के दम पर आगे बढ़ी हैं और गांव की अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रही हैं।
शशि पयाल की संघर्ष और स्वावलंबन की कहानी पहाड़ की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। उन्होंने एक चाय की दुकान से शुरू किए सफर को आज एक बड़े अभियान में बदल दिया है, जिसमें सैकड़ों महिलाएं जुड़ रही हैं और आत्मनिर्भर बन रही हैं। उनकी पुत्रवधू शिवानी भी सहकारिता के माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार के प्रति जागरूक कर रही हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।