लखनऊ : परिवहन विभाग की 'रफ्तार' लगातार सक्षम व सशक्त हो रही है। उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही में न केवल अपेक्षित राजस्व लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सशक्त प्रगति की, बल्कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, वाहन पंजीकरण और डिजिटल सेवाओं के क्षेत्र में भी ठोस परिणाम दर्ज किए। यह तिमाही विभाग के लिए ‘प्रदर्शन’ से आगे बढ़कर ‘परिवर्तन’ की दिशा में ठोस कदम साबित हुई। वित्तीय वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही ने सिद्ध किया कि उत्तर प्रदेश लक्ष्य आधारित विभागीय प्रदर्शन से बढ़कर संरचनात्मक रूप से परिपक्व परिवहन प्रशासन की दिशा में तेज़ी से अग्रसर हो चुका है। राजस्व, ई-मोबिलिटी, वाहन पंजीकरण और डिजिटल अनुपालन समेत सभी स्तरों पर विभाग ने ऐसी प्रवृत्तियां दर्ज की हैं, जो केवल शासन की सफलता नहीं, बल्कि जन-प्रेरित व्यवहारिक बदलाव को भी दर्शाती हैं।
राजस्व में निरंतर वृद्धि, लक्ष्य की दिशा में सशक्त रफ्तार
अप्रैल–जून 2025 की तिमाही में कुल 2913.78 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 274.22 करोड़ रुपये अधिक है यानी 10.39% की वृद्धि। उल्लेखनीय है कि इस दौरान विभाग ने क्रमिक लक्ष्य का 85.90% पूर्ण कर लिया है, जिससे यह स्पष्ट है कि वर्षांत तक 14,000 करोड़ रुपये का वार्षिक लक्ष्य व्यवहारिक रूप से प्राप्त किया जा सकता है। सिर्फ जून 2025 में ही 830.15 करोड़ का राजस्व अर्जित हुआ, जो पिछले वर्ष जून की तुलना में 4.10% अधिक है। यह वृद्धि तब दर्ज हुई जब विभाग ने कई श्रेणियों में छूट, विशेषकर ई-वाहनों पर टैक्स रिबेट प्रदान किए।
ई-मोबिलिटी में उत्तर प्रदेश की निर्णायक छलांग
प्रथम तिमाही में 70,770 इलेक्ट्रिक वाहनों को कर एवं शुल्क में 255.50 करोड़ की रियायत दी गई। 70,770 ई-वाहनों को जो लाभ प्राप्त हुआ, जिसमें न केवल पारंपरिक श्रेणियाँ (ई-रिक्शा, थ्री-व्हीलर) शामिल थीं, बल्कि 5,658 इलेक्ट्रिक कारें और 15,434 दोपहिया वाहन भी शामिल रहे। यह आंकड़ा दर्शाता है कि ईवी अब सिर्फ लो-एंड समाधान नहीं, बल्कि मिड और अर्ध प्रीमियम शहरी ग्राहकों का भी प्राथमिक विकल्प बन चुका है। केवल जून में 23,513 ई-वाहनों को 94.70 रुपये करोड़ की रियायत प्रदान की गई। प्रदेश में अब तक कुल 12.29 लाख इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा ईवी-बेस वाला राज्य बनता जा रहा है।
वाहन पंजीकरण में उत्साहजनक वृद्धि: निजी और व्यावसायिक दोनों क्षेत्र अग्रणी इस तिमाही में कुल 1,17,774 नए परिवहन वाहन पंजीकृत हुए। इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 16.04% वृद्धि देखी गई। इनमें ई-रिक्शा (पैसेंजर) में 10.82% और ई-कार्ट में 80.26% वृद्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
नॉन-ट्रांसपोर्ट वाहनों में भी तेजी- 9,67,476 पंजीकरण, जो कि 12.41% की वार्षिक वृद्धि है। टू-व्हीलर वर्ग में 13.73% और फोर व्हीलर में 6.09% की वृद्धि के साथ नागरिकों की खरीद क्षमता और वाहन उपयोग में वृद्धि स्पष्ट होती है।
डिजिटल भुगतान और पारदर्शी सेवाओं का सशक्त क्रियान्वयनः प्रथम तिमाही में विभाग का कुल कर व शुल्क वसूली का 90% से अधिक ऑनलाइन मोड के माध्यम से हुआ, जो यह दर्शाता है कि जनता अब डिजिटल प्रक्रियाओं पर भरोसा कर रही है। ड्राइविंग लाइसेंस सेवाओं से ही 84.50 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई। ई-चालान एवं समन शुल्क से 30.45 करोड़ वसूले गए। 90% से अधिक कर व शुल्क वसूली डिजिटल मोड से होना नागरिकों के डिजिटल प्रशासन पर बढ़ते विश्वास का संकेत है।
राजस्व की संरक्षित वृद्धि के साथ सुधारोन्मुख छूट नीतिः जहाँ एक ओर विभाग ने ई-वाहनों के लिए 255.50 करोड़ रुपये की छूट दी, वहीं दूसरी ओर कुल राजस्व में 10.39% की वृद्धि दर्ज की। यह संकेत है कि राज्य ने ‘छूट के बावजूद स्थिर राजस्व’ का मॉडल सफलतापूर्वक अपनाया है।
उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह के मुताबिक़, "यह तिमाही प्रदर्शन केवल राजस्व या आंकड़ों की नहीं, बल्कि शासन मॉडल की कहानी है, जिसमें नीति, प्रौद्योगिकी, पारदर्शिता और जनसहभागिता स्तंभ पर तेज़ी से काम हो रहा है, उत्तर प्रदेश अब परिवहन के हर क्षेत्र में मॉडल राज्य के रूप में उभर रहा है, तिमाही प्रदर्शन यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में परिवहन केवल विभागीय सेवा नहीं रह गई, बल्कि व्यापक सार्वजनिक संस्कार बन चुका है, जहां नीति, प्रौद्योगिकी और जन-भागीदारी मिलकर सामाजिक प्रगति को गति दे रहे हैं।"