उत्तर प्रदेश में हिंडन नदी के प्रदूषण को रोकने में विभिन्न एजेंसियों द्वारा देरी का संज्ञान लेते हुए, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दो दर्जन से अधिक राज्य और केंद्रीय एजेंसियों को प्रदूषण रोकने के लिए उपचारात्मक कार्रवाई के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
हरित न्यायाधिकरण ने सभी उत्तरदाताओं को प्रदूषण को रोकने के लिए की गई उपचारात्मक कार्रवाई पर 30 जून 2023 को या उससे पहले एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
एनजीटी ने 17 मार्च को पारित अपने आदेश में कहा कि पिछले उल्लंघनों के लिए कोई भी कठोर आदेश पारित करने से पहले, हम उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक संयुक्त समिति को निर्देश देते हैं जिसमें एमओईएफ और सीसी, एनएमसीजी, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा राज्य शामिल हों।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, संबंधित जिलाधिकारियों एवं संबंधित अधिकारीयों को देरी और वास्तविक जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए फील्ड मॉनिटरिंग टीमों को भी तैनात करने का निर्देश दिया। बता दें कि तीन बेंच जज अबिष्ट कुसुम गुप्ता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि हिंडन नदी के प्रदूषित हिस्से को सहारनपुर से गाजियाबाद तक बहाल करने की कार्य योजना यूपी के अधिकारियों द्वारा तैयार की गई थी, लेकिन यह केवल कागज पर है और जमीनी स्तर पर कुछ भी ठोस नहीं किया गया है। इस प्रकार, नदी अपने पूरे विस्तार में, विशेष रूप से गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में अत्यधिक प्रदूषित है।