Saturday 24th of May 2025

खोपड़ी का सूप और खून का खेल, नरभक्षी दरिंदा राजा कोलंदर का काला इतिहास!

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Mangala Tiwari  |  May 24th 2025 10:43 AM  |  Updated: May 24th 2025 10:43 AM

खोपड़ी का सूप और खून का खेल, नरभक्षी दरिंदा राजा कोलंदर का काला इतिहास!

Lucknow: इस नरभक्षी, आदमखोर, साइको किलर, हैवान के लिए हत्या करना शौक था, खूनी खेल खेलना इसकी फितरत बन चुकी थी। बेरहमी से कत्ल करना फिर शरीर के अंगों को काटना इसका शगल बन गया था। कत्ल के बाद शव के कई टुकड़े करके अलग अलग इलाकों में फेंक देता था या फिर दफन कर देता था। कईयों के भेजे व अंगों को ये खा गया था। नरमुंडों को पेंट करके अपने फार्म हाउस पर रखता था। चौदह लोगों की हत्या की बात कबूल की, जब तक पुलिस ने उसे दबोचा नहीं था तब तक उसके खूनी कारनामे से लोग अनजान थे। जब उन्हे इस नरपिशाच की खौफनाक हकीकत पता चली तो इससे मिलने जुलने वालों के पैरों तले जमीन खिसक गई। इसकी हैवानियत पर आधारित नेटफ्लिक्स की सीरीज जिसने देखी वह दहशत से भर उठा। दरिंदगी की दास्तान जिसने सुनी उसकी रूह कांप उठी।

 

रोंगटे खड़े कर देने वाली इस खूनी दरिंदे का नाम है राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन। शुक्रवार को लखनऊ की सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (आयुर्वेद प्रकरण) रोहित सिंह ने कोलंदर और बच्छराज कोल को उम्रकैद की सजा सुनाई। उसे सुनियोजित तरीके से साजिश रचकर चारबाग इलाके से टाटा सूमो बुक कर मालिक तथा ड्राइवर की हत्या कर शव को क्षत विक्षत हालत में फेंकने के केस में दोषी पाया गया। उस पर ढाई लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इसकी पत्नी फूलन देवी और उसके नाबालिग भाई बच्छराज पर सबसे पहले मुकदमा चला। बच्छराज के मामले को जुवेनाइल कोर्ट भेज दिया गया था। 8 जुलाई, 2013 को फूलन देवी को उम्रकैद की सजा दी गई। ट्रायल के दौरान आरोपी दद्नन सिंह की मौत हो गई। कोलंदर इतना शातिर है कि जेल में रहते हुए अपने पक्ष की पैरवी खुद की। वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान गवाहों से जिरह करता था। 

 

पच्चीस साल पहले अंजाम दी गई थी दिल दहलाने वाली वारदात:

बात शुरू होती है 27 जनवरी, 2000 को। जब हर्ष सिंह ने लखनऊ के नाका थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई। जिसमें कहा गया कि उनकी टाटा सूमो गाड़ी जिसका नंबर यूपी 32 जेड 2423 है उसे उनका भतीजा मनोज कुमार सिंह व ड्राइवर रवि श्रीवास्तव लखनऊ- इलाहाबाद मार्ग पर सवारियों को लाने जाने के के लिए इस्तेमाल करते थे। 23 जनवरी 2000 को दिन में एक महिला सहित आधा दर्जन लोग इस गाड़ी को बुक करके चाकघाट रीवा (मध्य प्रदेश) ले गए, तब से न गाड़ी वापस आई और न ही गाड़ी संचालक दोनों लोगों का कुछ पता चल सका है। पुलिस ने गाड़ी व व्यक्तियों के अपहरण का मुकदमा दर्ज करके तफ्तीश शुरू की।

टाटा सूमो संचालक और उसका ड्राइवर जीवित घर नहीं लौट सके थे:

आखिरी बार गुम हुए दोनों लोगों की लोकेशन रायबरेली के हरचंदपुर में चाय की दुकान पर मिली। जांच के दौरान राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन, उसकी पत्नी फूलन देवी, उनका एक नाबालिग बेटा, बच्छराज कोल, दिलीप गुप्ता तथा दद्दन सिंह कोल के नाम सामने आए। ये सभी लोग प्रयागराज के निवासी थे। कोलंदर अपने गुर्गों के संग पत्रकार हत्याकांड में पुलिस के हत्थे चढ़ चुका था। इसी दौरान शंकरगढ़ के जंगल में क्षत विक्षत दो शव बरामद हुए। जिनकी पहचान मनोज कुमार सिंह और रवि श्रीवास्तव के तौर पर हुई। इस केस में दर्जन भर गवाह बनाए गए। वादी के भाई शिवशंकर सिंह सबसे अहम गवाह बने। शिवशंकर से ही मनोज सिंह और रवि की रायबरेली में आखिरी मुलाकात हुई थी। उन्होंने ही आरोपी के ठिकाने से बरामद मनोज की एक भूरी जैकेट की पहचान की थी। पुलिस ने 21 मार्च 2001 को चार्जशीट भी दाखिल की, लेकिन कानूनी पेचीदगियों के कारण मामले की सुनवाई शुरू नहीं हो सकी. इस मामले की सुनवाई शुरू हुई साल 2013 में। जो अब अंजाम तक पहुंची।

 

डिफेंस के एक प्रतिष्ठान में कार्यरत रहा एक अस्थायी कर्मचारी बन गया खूंखार साइको किलर

राजा कोलंदर प्रयागराज के शंकरगढ़ के हिनौता गांव का मूल निवासी था। उसका असली नाम निरंजन कोल है, वह नब्बे के दशक के शुरूआती दौर में नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार (सीओडी) छिवकी में अस्थायी कर्मचारी हुआ करता था. इसकी पत्नी फूलन देवी पंचायत सदस्य रही थी। नौकरी करते हुए ही इसने नैनी में पिगरी फार्म हाऊस बना लिया था यहीं से यह खौफनाक वारदातों को अंजाम दिया करता था। पुलिस के मुताबिक शुरूआती कत्ल की वारदातों के बाद ये डरा जरूर था लेकिन जब पकड़ा नहीं गया तब इसके हौसले बेखौफ होते चले गए। धीरे धीरे लोगों की हत्या करना इसका शौक बनता गया। ये इतना खतरनाक साइको किलर था कि इसने अपनी पत्नी और बेटे को भी मनोरोगी बना दिया था। इसकी पत्नी का नाम गोमती था जिसे बदलकर इसने फूलन देवी कर दिया था। अपने एक बेटे का नाम कलेक्टर तो दूसरे का विधायक रखा था। वह अपने मिलने जुलने वालों को इसी तरह से कोड नाम देता था। किसी भी लूट या हत्या को अंजाम देने के लिए गिरोह के लोगों से कोड मे ही बात करता था।

पत्रकार धीरेन्द्र सिंह हत्याकांड की तफ्तीश के दौरान साइको किलर का नाम उजागर हुआ:

इलाहाबाद (प्रयागराज) में 19 दिसंबर 2000 को पत्रकार धीरेन्द्र प्रताप सिंह के अपहरण और हत्या के मामले में राजा कोलंदर तथा उसके साथियों की गिरफ्तारी हुई। पुलिस को इसके ठिकान से मृतक मनोज कुमार सिंह की टाटा सूमो यूपी 32 जेड 2423 तथा उसके घर से मृतक रवि श्रीवास्तव का कोट भी बरामद हुआ, जिसे मृतकों के परिजन ने पहचान लिया था। पुलिस द्वारा गहन जांच पड़ताल करने पर दोषी राजा कोलंदर की अनेक शहरों में ऐसे ही एक दर्जन से अधिक वारदातों में हिस्सेदारी पाई गई। पत्रकार हत्या मामले में राजा कोलंदर तथा बच्छराज कोल को अपर सत्र न्यायाधीश इलाहाबाद द्वारा 30 नवंबर 2012 को उम्र कैद की सजा सुनाई जा चुकी है। पत्रकार हत्याकांड में जब पुलिस राजा कोलंदर से पूछताछ कर रही थी तब उसने ऐसी चौंकाने वाली जानकारी दी जिसे सुनकर जांच कर रही पुलिस टीम के होश उड़ गए। इस साइको किलर ने बताया कि उसने अपने एक शिकार का बेरहमी से कत्ल किया फिर उसका भेजा उबालकर पी गया था। इस नरपिशाच के खूनी कारनामों पर ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर एक चर्चित सीरीज भी बनाई जा चुकी है।

आदमखोर के शिकार बने लोगों के परिजनों की इस हैवान को फाँसी दिए जाने की आस रही अधूरी:

कानून का चलन है कि सबूतों के बिना पर फैसलों की इबारत रची जाती है। इस खूंखार हत्यारे को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए जिन सुबूतों को पेश किया जाना था जिन तकनीकी व विधिक बिंदुओं का ख्याल रखना जाना था पैरवी में अभियोजन पक्ष चूक गया। फैसला सुनाते वक्त कोर्ट ने कहा कि मामला पेशेवर, संगठित अपराध से संबंधित है, क्रूरतम तरीके से हत्या की गई। कोलंदर को दुस्साहसी बताते हुए कोर्ट ने कहा उससे किसी भी तरह की सहानुभूति न्याय की मंशा के विपरीत होगी। शुक्रवार को इस खूनी दरिंदे को उम्रकैद की सजा तो मिली लेकिन नरभक्षी मौत के फंदे से ये बच गया। राजा कोलंदर के शिकार हुए लोगों के परिजन इसकी फांसी की सजा के ख्वाहिशमंद हैं। पर उनकी ये आस अधूरी ही रह गई।

Latest News

PTC NETWORK
© 2025 PTC News Uttar Pradesh. All Rights Reserved.
Powered by PTC Network