ब्यूरोः राज्यसभा में नामांकन के बाद सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली के लोगों को भावुक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने परिवार को संभाल लेने की अपील की है। सोनिया गांधी, जिन्होंने 2004 से रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है, ने निर्वाचन क्षेत्र में उनके परिवार के किसी सदस्य के उत्तराधिकारी होने की संभावना का संकेत दिया। सोनिया गांधी के इस पत्र को कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया है।
CPP चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी जी का रायबरेली की जनता के प्रति स्नेह किसी से नहीं छुपा है। जब वह पहली बार चुनाव लड़ने आईं तो रायबरेली की आवाम ने अपनी बहू को मुंह दिखाई के रूप में जीत का तोहफा दिया। काल के चक्र ने जब स्वर्गीय राजीव जी को हमसे छीन लिया तो वह अभिवाहक के रूप… pic.twitter.com/3cQVj5aLUn
— UP Congress (@INCUttarPradesh) February 15, 2024
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पत्र में गांधी परिवार और रायबरेली के संबंधों के बारे में लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा कि रायबरेली के बिना अपने परिवार को अधूरा बताया है। वह अपने संसदीय क्षेत्र में भले ही कुछ दिन से सक्रिय नहीं थीं, लेकिन रायबरेली को अपनी ससुराल से सौभाग्य की तरह मिलने की बात करके भावनात्मक लगाव को भी उजागर किया है। उन्होंने पत्र में गांधी परिवार और रायबरेली के संबंधों की जड़ों को न सिर्फ गहरा बताया है। उन्होंने आगे लिखा कि इसे सियासी तौर पर देखा जाए तो वह रायबरेली की जनता से पहले की तरह ही समर्थन की ख्वाहिशमंद हैं। क्योंकि फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और फिर खुद को मिले समर्थन के साथ ही उन्होंने भविष्य में परिवार को संभालने की अपील की है। इसके बाद से ही रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी वाद्रा की संभावित उम्मीदवारी को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
शहजाद पूनावाला ने उठाया सवाल
इसके बाद सोनिया गांधी के पत्र भाजपा ने प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने उत्तर प्रदेश के साथ कांग्रेस पार्टी के भविष्य के जुड़ाव पर सवाल उठाया। उन्होंने सुझाव दिया कि रायबरेली से चुनाव लड़ने में पार्टी की अनिच्छा सीट खोने के डर का संकेत देती है। अमेठी की हार और रायबरेली की संभावित हार उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है, जो कभी कांग्रेस पार्टी की मजबूत पकड़ थी। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी की अमेठी में भाजपा की स्मृति ईरानी से हार ने इस परिवर्तन को रेखांकित किया।