Thursday 22nd of May 2025

सैनिक और डॉक्टर के काम समान, दोनों ही करते हैं आम आदमी की रक्षाः राजनाथ

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Mohd. Zuber Khan  |  May 21st 2025 03:10 PM  |  Updated: May 21st 2025 03:10 PM

सैनिक और डॉक्टर के काम समान, दोनों ही करते हैं आम आदमी की रक्षाः राजनाथ

लखनऊ: 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद अपने संसदीय क्षेत्र में पहली बार पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि डॉक्टर रोगियों का इलाज करते हैं और रक्षा मंत्रालय में काम करने वाले हम लोग सीमापार के आतंकवादी का। भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की और पाकिस्तान में मौजूद बड़ी संख्या में आतंकवादियों के ठिकानों पर सफलता पूर्वक प्रहार कर आतंकियों का सफाया करने में कामयाबी हासिल की। भारतीय सैनिकों ने कुशल डॉक्टर व सर्जन की तरह काम किया है। जैसे कुशल सर्जन बीमारी की जड़ पर औजारों का इस्तेमाल करता है, वैसे ही भारतीय सेनाओं ने आतंकवाद की जड़ों पर हथियारों का इस्तेमाल किया है। लखनऊ के सांसद व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह डॉ. केएन एस मेमोरियल हॉस्पिटल की स्थापना के 25वें वर्षगांठ समारोह में शामिल हुए। 

'ऑपरेशन सिंदूर' में सेना तो कोरोना के दौरान डॉक्टरों के साहस को देश ने देखा 

रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत की जमीन पर हमले के प्रयास प्रारंभ किए। आम नागरिकों, मंदिरों, गुरुद्वारों व गिरजाघरों को निशाना बनाया गया। उसके जवाब में भारतीय सेना की कार्रवाई ने पाकिस्तान की फौज को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया। हमने पूरा ध्यान रखा कि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भी प्रहार किया जाए, जहां सिविलियंस रहते हैं, वहां अटैक नहीं होना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सेनाओं ने कुशल सर्जन की भांति ऑपरेशन किया है। सैनिक और डॉक्टर के काम-प्रतिबद्धता में काफी समानताएं हैं। दोनों ही आम आदमी की रक्षा करते हैं। एक स्वास्थ्य तो दूसरा राष्ट्र की रक्षा करता है। दोनों का अनुशासन व ट्रेनिंग बड़ी कठोर होती है। दोनों को बड़ी नाजुक परिस्थिति में बड़े निर्णय लेने पड़ते हैं। दोनों ही इमरजेंसी के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेनाओं के पराक्रम को देश ने देखा तो कोरोना के दौरान डॉक्टर-सर्जन के साहस व प्रतिबद्धता को। सैनिकों की भांति डॉक्टर भी ड्यूटी, साहस व देश-समाज की सेवा के लिए जाने जाते हैं। 

कीकत बन चुका डॉ. सिंह का देखा सपना 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 12 मई 2000 को मैंने ही इस हॉस्पिटल का उद्घाटन किया था। डॉ. केएन सिंह की आंखों में जो सपना, विजन, उद्देश्य देखा था, वह आज हकीकत बन चुका है। भारतीय टैलेंट देश से बाहर जाकर प्रतिभा दिखा रही है, लेकिन डॉ. सिंह युनाइटेड स्टेट से वापस भारत आए और ब्रेन गेन के मिसाल बने। रक्षा मंत्री ने बताया कि 1997 में उनकी मां को हृदयाघात आया। समय पर पर्याप्त चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण वे अपनी मां को खो बैठे। उस क्षण ने उनकी दिशा बदल दी। डॉ. सिंह ने ठान लिया कि इलाज के अभाव में किसी को खोना न पड़े। व्यक्तिगत क्षति अक्सर कड़वाहट पैदा कर देती है और उन्हें निराशावादी भी बना देती है, लेकिन डॉ. सिंह जैसे लोग दिखाते हैं कि इन्हीं दुखों को नई चेतना, नई दिशा व नई प्रेरणा में बदला जा सकता है। रक्षा मंत्री ने लखनऊ, आजमगढ़ व अंबेडकर नगर में डॉ. सिंह द्वारा किए गए प्रयासों को भी उजागर किया। 

भारत को कहा जाने लगा 'द डायबिटीज कैपिटल' 

रक्षा मंत्री ने बदलती जीवनशैली को लेकर चिंता व्यक्त की। कहा कि भारत को आज द डायबिटीज कैपिटल कहा जाने लगा है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में लगभग 10 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज के मरीज हैं और 14 करोड़ लोग प्री डायबिटीज अवस्था में हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि टाइमली डिटेक्शन, राइट हेल्थ मैनेजमेंट से यह पेशेंट नॉर्मल लाइफ लीड कर सकते हैं। जीवनशैली को नियंत्रित करने की आवश्यकता को समझने की जरूरत है। लाइफस्टाइल को लेकर सर्वाधिक जागरूकता डॉक्टर ही पैदा कर सकते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि डॉक्टर कितना भी योग्य क्यों न हो, बिना इंफ्रास्ट्रक्चर व फैसिलिटी के डॉक्टर अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे सकता। मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर व ह्यूमन रिसोर्सेज में निवेश करना हर सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। 

'आयुष्मान भारत' के कारण जेब से होने वाला खर्च 62 प्रतिशत से घटकर 38 प्रतिशत पर आ चुका है

रक्षा मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में सर्वाधिक प्राथमिकता वाले क्षेत्र में स्वास्थ्य क्षेत्र भी है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में स्वास्थ्य क्षेत्र में 95 हजार, 957 करोड़ बजट आवंटित किया गया है। रक्षा मंत्री ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना का लाभ अब तक 8 करोड़ से अधिक लोग लाभ उठा चुके हैं। सरकार ने इसके लिए अब तक सवा लाख करोड़ रुपये सरकार ने खर्च किए हैं। 19 लाख ऐसे गरीब व वंचित तबके के लोग हैं, जो आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कवरेज के बिना यह इलाज नहीं करा पाते। आयुष्मान भारत के कारण लोगों की जेब से होने वाला खर्च 62 प्रतिशत से घटकर 38 प्रतिशत पर आ चुका है। पूरे देश में 14,000 से अधिक जनऔषधि केंद्र खुल चुके हैं। पैक्स के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी जनऔषधि केंद्र खुलने की शुरुआत कर दी है। नेशनल फॉर्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी के माध्यम से भी दवा की कीमतों पर नियंत्रण किया गया है। 

2014 के पहले देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे, 2024 में 780 

रक्षा मंत्री ने कहा कि 10 वर्षों में भारत में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और डॉक्टर की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2014 से पहले देश में केवल 387 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं 2024 में बढ़कर इसकी संख्या 780 तक पहुंच गई है। एमबीबीएस सीटों की संख्या में 130 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। 2014 के पहले इसकी सीटें लगभग 50 हजार थी, जो बढ़कर अब लगभग 1.20 लाख हो गई है। 

योगी के कार्यों की अन्य राज्यों में भी होती है चर्चा 

रक्षा मंत्री ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में डबल इंजन सरकार स्वास्थ्य कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र की योजनाओं के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने राज्य सरकार की योजनाओं को भी प्रभावी ढंग से लागू किया है। तेज एंबुलेंस सेवा, त्वरित उपचार व हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में योगी जी ने शानदार काम किया है, इसकी चर्चा अन्य राज्यों में भी होती है। 

पहले जुलाई से सितंबर तक मरते थे पूर्वांचल के दो हजार बच्चे, आज एक भी नहीं 

रक्षा मंत्री ने कहा कि 2017 से पहले 40-50 वर्षों से गोरखपुर समेत पूर्वांचल में जुलाई से सितंबर के दौरान जापानी इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मृत्यु होती थी। सभी सरकारों ने इसे नियति का खेल मान लिया था कि हर साल डेढ़-दो हजार बच्चे काल के गाल में समा जाएंगे, लेकिन 2017 में यूपी में भाजपा सरकार बनने के कुछ वर्षों बाद ही तस्वीर बदल गई। योगी आदित्यनाथ ने प्रण लिया कि अब वह भयावह रोग पर लगाम लगाकर ही रहेंगे। भाजपा सरकार ने युद्ध स्तर पर कार्य प्रारंभ किया। योगी जी खुद मॉनीटरिंग कर रहे थे। इसका परिणाम है कि अब पूर्वांचल ही नहीं, बल्कि यूपी में जेई से मरने वाले बच्चों की संख्या न के बराबर रह गई है। 

मेडिकल कॉलेज की संख्या के हिसाब से 'यूपी देश में नंबर 1' 

रक्षा मंत्री ने कहा कि योगी जी के नेतृत्व में यूपी के हर जनपद में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। यूपी एमबीबीएस सीटों की संख्या के हिसाब से देश का दूसरा व मेडिकल कॉलेज में देश का नंबर 1 राज्य बन गया है। यहां 80 मेडिकल कॉलेज फंक्शनल हैं। 44 सरकारी व 36 प्राइवेट सेक्टर द्वारा संचालित हैं। यूपी में मेडिकल सेक्टर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का असाधारण उदाहरण है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की यह यात्रा यूपी को और आगे ले जाएगी। 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा, सुधांशु त्रिवेदी, संजय सेठ, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह,  सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर, महापौर सुषमा खर्कवाल, विधान परिषद सदस्य मुकेश शर्मा, रामचंद्र प्रधान, विधायक नीरज बोरा, ओपी श्रीवास्तव, पंकज गुप्ता, भाजपा नेता नीरज सिंह आदि मौजूद रहे। चेयरपर्सन मधुलिका सिंह व डॉ. राहुल सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।

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