Friday 22nd of November 2024

UP Lok Sabha Election 2024: चुनावी इतिहास के आईने में लालगंज संसदीय सीट, बीते विधानसभा चुनाव में सपा का क्लीन स्वीप

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  May 22nd 2024 02:47 PM  |  Updated: May 22nd 2024 02:47 PM

UP Lok Sabha Election 2024: चुनावी इतिहास के आईने में लालगंज संसदीय सीट, बीते विधानसभा चुनाव में सपा का क्लीन स्वीप

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP:  यूपी का ज्ञान में आज चर्चा करेंगे लालगंज संसदीय सीट की। पूर्वांचल क्षेत्र के अहम जिले आजमगढ़ जिले मे दो संसदीय सीटें शामिल हैं। आजमगढ़ और लालगंज। यूपी के पिछड़े इलाकों की फेहरिस्त ये क्षेत्र भी शामिल है। यहां 1962 से 2019 तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में ज्यादातर प्रत्याशी वो जीते जिनके नाम मे राम लगा था। रामधन यहां से पांच बार सांसद चुने गए। छांगुर राम और राम बदन भी जीते तो बलिराम ने जीत की हैट्रिक लगाई।

लालगंज लोकसभा क्षेत्र के पौराणिक-धार्मिक महत्व के स्थल

­­­­­­­त्रेता युग में यहां भगवान राम का आगमन हुआ था तो यह धरा सती अनुसूया के पुत्रों की तपोस्थली भी रही है। लालगंज के अतरौलिया के प्रसिद्ध स्थान बाबा प्रथम देव स्थान के बारे में मान्यता है कि वनवास जाते समय भगवान श्रीराम यहां पधारे थे यहां उन्होंने विश्राम किया था और साधु-संतों से आशीर्वाद ग्रहण किया था। आज भी इस स्थल पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है.... यहां का कैलेश्वर धाम अति प्रसिद्ध है। सिधौना का माता सिद्धेश्वरी देवी मंदिर की खासी मान्यता है। लालगंज तहसील क्षेत्र के पल्हना बाजार में स्थित पाल्हमेश्वरी धाम हजारों वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक देवीपीठ है। लालगंज का रटेश्वर महादेव मंदिर और निजामाबाद में स्थापित चरण पादुका गुरुद्वारा श्रद्धा के  बड़े केन्द्र हैं।

क्षेत्र के उद्योग धँधे और विकास का पहलू

यहां कभी सठियांव चीनी मिल की स्थापना हुई थी जो कुछ समय बाद ही कु-प्रबंधन व उपेक्षा के चलते बंद हो गई थी। हालांकि सत्ता के आखिरी वर्ष में अखिलेश यादव की सरकार में इसे पुनर्संचालित किया गया था। लेकिन गन्ना किसानों के लिए अभी भी बहुत करना बाकी है। योगी सरकार की  वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की मुहिम को रफ्तार देने के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे किनारे औद्योगिक गलियारा बन रहा है। जिसका लालगंज के अतरौलिया से होकर गुजरेगा, भू अर्जन की कवायद जारी है।

निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी की कला देश-दुनिया में मशहूर

आजमगढ़ शहर का जिक्र जब भी होता है तब लालगंज लोकसभा क्षेत्र के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी के बिना अधूरा ही माना जाता है। सैकड़ों वर्ष पुरानी इस निर्माण कला को यहां लाने के लिए पूर्ववर्ती शासकों ने फारस से बर्तन-फलदान बनाने वाले कारीगरों को इस शहर में रहने के लिए बुलाया था। काली मिट्टी के बने नक्काशीदार बर्तन न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में आजमगढ़ और निजामाबाद को विशिष्ट पहचान मुहैया कराते हैं। जिले में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध विशिष्ट काली मिट्टी  से चाय के बर्तन, चीनी के बर्तन व देवी देवताओं की मूर्तियाँ विशेषकर गणेश, लक्ष्मी, शिव, दुर्गा और सरस्वती की मूर्तियों का निर्माण किया जाता है। इन उत्पादों की माँग पर्वों व त्योहारों में अत्यधिक रहती है। बौद्धिक संपदा सूची यानि (ज्योग्राफिकल इंडेक्स) में इन बर्तनों को भी दर्ज किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश की लोककला को बढ़ावा देने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले उपहारों की सूची में ब्लैक पॉटरी को शामिल किया है।

चुनावी इतिहास के आईने में लालगंज संसदीय सीट

साल 1962 में इस सीट पर पहले चुनाव हुए थे....तब प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के विश्राम प्रसाद चुनाव जीते थे। 1967 व 71 में कांग्रेस के रामधन राम को जीत हासिल हुई। 1977 में भी रामधन राम ही चुनाव जीते पर तब वह भारतीय लोकदल के टिकट से चुनाव लड़े थे। 1984 में रामधन फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और संसद पहुंचे। साल 1989 मे रामधन ने पाला बदला और जनता दल के टिकट से चुनाव जीतकर सांसद  बन गए। 1991 में जनता दल के राम बदन को यहां से जनता ने अपना सांसद चुना।

बीएसपी और सपा की क्रमवार जीत

1996 में यहां से चुनाव जीतकर डॉ बलिराम ने बीएसपी का खाता खोला। 1998 में सपा के दरोगा प्रसाद सरोज जीते तो 1999 में डॉ बलिराम ने फिर बीएसपी को जीत दिलवाई। पर 2004 में सपा के दरोगा प्रसाद सरोज फिर  जीत गए। तो 2009 में बीएसपी के डॉ. बलिराम फिर जीते।

मोदी लहर में खाता खुला पर बाद में ये सीट बीजेपी  ने गंवा दी

साल  2014 की मोदी लहर में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला और यहां से नीलम सोनकर सांसद चुनी गईं, उन्होंने समाजवादी पार्टी के बेचई सरोज को कड़े मुकाबले में 63,086 मतों के मार्जिन से मात दी थी। पर  2019 में ये सीट बीजेपी के हाथों से फिसल गई। यहां बीएसपी की संगीता आजाद ने कामयाबी हासिल कर ली। सपा-बीएसपी और रालोद की साझा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ीं संगीता आजाद ने नीलम सोनकर को 1,61,597 वोटों से हरा दिया। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी तीसरे पर और कांग्रेस के पंकज मोहन सोनकर चौथे पायदान पर जा पहुंचे थे।

वोटरों की तादाद और जातीय ताना बाना

इस सीट पर 18, 38, 882 वोटर हैं। जिनमें से 20.02 फीसदा यादव, 14.6 फीसदी मुस्लिम, 13 फीसदी क्षत्रिय और इतने ही दलित वोटर हैं।  यहां 6.2 फीसदी ब्राह्मण, 6 फीसदी राजभर और 4.5 फीसदी कुर्मी वोटर हैं। यहां यादव, मुस्लिम और सोनकर वोटर निर्णायक तादाद में हैं। लालगंज के फूलपुर, अतरौलिया और निजामाबाद मुस्लिम और यादव बाहुल्य क्षेत्र हैं।

बीते विधानसभा चुनाव में सपा का क्लीन स्वीप

इस संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें शामिल हैं-- अतरौलिया, निजामाबाद, फूलपुर पवई, दीदारगंज और लालगंज सीटें। यहां की दीदारगंज सीट पूर्व में सरायमीर सीट नाम से जानी जाती थी। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां समाजवादी पार्टी ने यहां की सभी पांचों विधानसभा सीटों पर क्लीन  स्वीप किया था,  बीजेपी खाता खोलने को तरस गई। अतरौलिया से संग्राम यादव, निजामाबाद से आलमबदी, फूलपुर पवई से रमाकांत यादव, दीदारगंज कमलाकांत राजभर और लालगंज सुरक्षित सीट से बेचई सरोज चुनाव जीते थे ये सभी समाजवादी पार्टी के विधायक हैं।

साल 2024 की चुनावी बिसात पर संघर्ष जारी

मौजूदा चुनावी जंग दिलचस्प है, बीजेपी ने  नीलम सोनकर को ही चुनावी मैदान में उतारा है। सपा से दरोगा सरोज सपा और बीएसपी से डा इंदु चौधरी मौजूद हैं। कानपुर में जन्मी नीलम सोनकर ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। इनके पति राजेन्द्र प्रसाद इंजीनियर हैं। सपा के दरोगा सरोज साल 1998 और 2004 में यहां से सांसद रह चुके हैं। मोदी लहर में 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2017 का विधानसभा चुनाव भी लड़े थे पर हार गए। बाद में 2019 में सपा मे वापसी कर ली थी। वहीं,  बीएचयू के अंग्रेजी विभाग की फैकल्टी मेंबर इंदु चौधरी पब्लिक स्कूल से पढ़ी हुई हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीए से लेकर पीएचडी तक की डिग्री ली है। लालगंज संसदीय सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बना हुआ है।

PTC NETWORK
© 2024 PTC News Uttar Pradesh. All Rights Reserved.
Powered by PTC Network