लखनऊ: नगर निकाय चुनाव में आरक्षण की रूपरेखा जारी कर दी गई है। इसी के साथ ही प्रदेश के कुल 17 नगर निगमों के लिए भी महापौर चुनाव के लिए भी आरक्षण की घोषणा कर दी गई है। गौरतलब है कि इनमें से कुल छह नगर निगमों में महिलाओं के लिए आरक्षण तय किया गया है, जिनमें से पांच निगम अकेले पश्चिमी उप्र क्षेत्र में आते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि इन पांच शहरों में महिला महापौर चुनी जाएंगी, यानि शहरी सत्ता का पूरा केंद्र महिलाओं के ईद-गिर्द ही रहेगा।
आपको बता दें कि अयोध्या में महिला उम्मीदवार मैदान में उतरेंगी। यहां पर अकेले अयोध्या का ज़िक्र ख़ासतौर पर इसलिए, क्योंकि केवल अयोध्या को छोड़ दिया जाए तो पांचों नगर निगम पश्चिमी उप्र इलाक़े में हैं, जहां महिला महापौर सत्तासीन होंगी। इनमें आगरा में अनुसूचित जाति महिला, मथुरा वृंदावन में ओबीसी महिला, अलीगढ़ में भी ओबीसी महिला, सहारनपुर और मुरादाबाद में महिला उम्मीदवार ही महापौर का चुनाव लड़ पाएंगी।
इन निगमों में महिलाओं का आरक्षण तय होने के कारण समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। आलम ये है कि कई पुराने दिग्गज जहां अपनी पत्नी को चुनावी रण में उतारने का गणित लगाने लगे हैं, तो कई के अरमान आरक्षण लागू होने चलते बह गए हैं।
इन शहरों में एक भी महिला विधायक नहीं है:
हैरत की बात यह है कि मौजूदा वक़्त में इन शहरों में आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में एक भी महिला विधायक नहीं है। यहां विधायक प्रत्याशियों को ज़्यादातार दलों ने टिकट ही नहीं दिया। एक-दो उम्मीदवार को टिकट मिला भी तो उन्हें जीत हाांसि नहीं हो पाई, जिसकी वजह से उनका लखनऊ जाने का सपना अधूरा रह गया। ऐसे में इन शहरों में महिला सियासत की बिसात की ज़िम्मेदारी इन्हीं महिलाओं के पास रहेगी, इससे महिला सशक्तीकरण को भी बढ़ावा मिलने के आसार पर बढ़ गए हैं।
याद रहे कि अब ताज़ा सियासी हालात के मद्देनज़र पश्चिमी उप्र के बस तीन निगम ऐसे रह गए हैं, जो महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं है। मेरठ में हाल में महिला महापौर हैं। इस बार मेरठ को ओबीसी में सुरक्षित किया गया है। इसके अलावा बरेली और शाहजहांपुर को अनारक्षित में रखा गया है। हालांकि यहां से महिलाएं भी चुनावी मैदान में उतर सकती हैं।
-PTC NEWS