लखनऊ: अगर आप सोशल मीडिया यूज़र हैं तो आप इस तस्वीर से ज़रूर वाकिफ़ होंगे! दरअसल, सोशल मीडिया पर ये तस्वीर ख़ासी वायरल हो रही है, जिसमें एक बुर्का पहनी महिला अपने कंधे पर स्विगी डिलीवरी बैग के साथ पैदल ही चलती हुई नज़र आ रही हैं। फिलहाल ये वायरल तस्वीर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है।
तो क्या स्विगी के लिए काम कर रही है ये महिला? देखने में भले ही ऐसा लगे, लेकिन असलियत इससे एकदम अलग है।
दरअसल, पीठ पर स्विगी का बैग लादने वाली रिज़वाना स्विगी में काम नहीं करतीं हैं बल्कि उन्होंने वो बैग डिस्पोज़ल सामान की डिलीवरी के लिए एक शख़्स से 50 रुपए में ख़रीदा था। रिज़वाना बताती हैं कि वह काफी समय से लोगों की दुकानों पर जा जाकर डिस्पोजल सामान बेचती थीं और इसी दौरान उनका पुराना बैग फट गया था, जिसके लिए उन्हें नए बैग की ज़रुरत थी, जिसकी वजह से उन्होंने यह बैग ख़रीदा था। रिज़वाना के बकौल इस बैग ख़रीदने के पीछे एक और वजह थी कि यह बाक़ी बैग से सस्ता था जो कि उन्हें सिर्फ़ 50 रुपए में मिल गया।
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में Swiggy का बैग पीठ पर लादकर पैदल डिलीवरी करने वाली महिला का नाम रिज़वाना है। रिज़वाना एक बहुत ही ग़रीब परिवार से आती हैं और इसी ग़रीबी में अपने बच्चों का पालन पोषण करती हैं। रिज़वाना लखनऊ में जगतनारायण रोड स्थित जनता नगरी कालोनी में एक 8 बाई 8 के कमरे में अपने तीन बच्चों के साथ रहती हैं।
रिज़वाना ने बताया की उनके लिए काम करना इसलिए बहुत जरूरी है क्योंकि वह चाहती हैं कि उनके बच्चे पढ़ें। उन्होंने इस साल अपनी छोटी बेटी का स्कूल में एडमिशन करा दिया है और अगले साल अपने लड़के को भी स्कूल में दाखिला दिलवाने का इरादा रखती हैं। रिज़वाना ने बताया कि जीवन यापन करने के लिए वह लोगों के घरों में बर्तन धोती हैं और फिर घर आकर दोपहर में 12 बजे से शाम 4–5 बजे तक दुकान–दुकान जा कर डिस्पोज़ल सामान बेचती हैं। रिज़वाना ने बताया कि वह दिन भर में लगभग 6 से 7 किलोमीटर चलकर डिस्पोज़ल सामान बेचती हैं, जिसमें उनकी बचत सिर्फ 60 से 70 रुपए की ही हो पाती है।
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रिज़वाना के पति पिछले तीन साल से घर नहीं आए। वह एक रिक्शा चलाते थे और फिर अचानक उन्होंने परिवार छोड़ दिया। पिछले कुछ दिनों से तो उनकी कोई ख़बर नहीं है। रिजवाना के 4 बच्चे हैं, जिनमें बड़ी बेटी लुबना की उम्र 22 वर्ष है। रिज़वाना ने दो साल पहले उसका निकाह कर दिया था और अब वह अपने ससुराल में रहती हैं। रिज़वाना के बाक़ी तीन बच्चे बेटी बुशरा (19), नशरा (7) और छोटा बेटा मो. यासीन (11) उनके साथ रहते हैं।
रिज़वाना ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनको वो ज़रुरी सहूलियतें मुहैया कराई जाएं, जिनकी ज़िंदगी जीने के लिए ज़रुरत पड़ती है। रिज़वाना को यक़ीन है कि सरकार जल्द ही उनकी फरियाद सुनेंगी और वो अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिला पाकर, उनके और अपने सपने को साकार कर सकेंगी।