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रिवर फ्रंट घोटाला: ED ने भेजे नोटिस, यूपी में फिर गरमाई सियासत

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Mohd. Zuber Khan  |  December 06th 2022 03:18 PM  |  Updated: December 06th 2022 03:18 PM

रिवर फ्रंट घोटाला: ED ने भेजे नोटिस, यूपी में फिर गरमाई सियासत

लखनऊ: मैनपुरी उपचुनाव के दौरान, गोमती रिवर फ्रंट 'घोटाले' के बाबत बीजेपी के बड़े नेताओं ने जसवंतनगर से सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव पर जमकर निशाना साधा था। यहां तक कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तो इशारो-इशारों में ये भी कह दिया था कि तहक़ीक़ात के बाद कई रसूख़दारों को जेल की हवा खाने के लिए ख़ुद को तैयार कर लेना चाहिए। 

हालांकि ये महज़ चुनावी हमला था या फिर वाक़ई बीजेपी इसको लेकर गंभीर है, इस पर राजनीतिक गलियारों में कोई ख़ास संजीदगी दर्ज नहीं की गई। अब ताज़ा जानकारी के मुताबिक़ गोमती रिवर फ्रंट 'घोटाले' में ठेकेदारों पर शिकंजा कसा जा सकता है, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें नोटिस जारी कर दिए हैं, जिसके बाद मीडिया हलकों में भी गहमा-गहमी का माहौल पैदा हो गया है। यानि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अब गोमती रिवर फ्रंट 'घोटाले' की जांच में कभी भी तेज़ी देखी जा सकती है। 

ऐसे में जानकारों की मानें तो रिवर फ्रंट से जुड़े कई ठेकेदारों की मुश्किलों में इज़ाफा हो सकता है। दरअसल, ईडी ने कई ठेकेदारों को इस मसले के मद्देनज़र नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया है। जानकारी के बक़ौल एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने उस वक्त के अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव के कई क़रीबी ठेकेदारों को नोटिस देकर तहक़ीक़ात में सहयोग करने के निर्देश दे दिए हैं। गौरतलब है कि रिवर फ्रंट बनाने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत को लेकर मामला पहले ही दर्ज किया जा चुका था, अब इन ठेकेदारों की भूमिका सीबीआई जांच के घेरे में है, जिससे इस पेचीदा मामले से जुड़ी कई परतें खुल सकने के आसार जताए जा रहे हैं।

क्या है गोमती रिवर फ्रंट मामला?

योगी सरकार बनने के बाद, पहली बार 2017 के नवंबर में एंटी करप्शन ब्रांच ने 'घोटाले' की एफआईआर दर्ज की थी  और फिर इस 'घोटाले' की जांच शुरू हुई। प्रवर्तन निदेशालय ने 2018 में इस मामले की जांच अपने हाथ में भी ली थी। आरोप यह है कि रिवर फ्रंट निर्माण में क़रीब 400 करोड़ रुपए के 600 से ज़्यादा छोटे-छोटे टेंडर किए गए थे जो कि अलग-अलग ठेकेदारों को दिए गए  और इसमें अनियमितताएं व नियमों की बड़े पैमाने पर अनदेखी की गई। इल्ज़ाम ये भी है कि मनमाने दामों पर ठेकेदारों ने निर्माण और सामान की आपूर्ति की, साथ-साथ कई जगह ओवर रेटिंग के मामले भी सामने आए।

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