लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ भीड़ के लिहाज़ से सफल है, लेकिन भीड़ को वोट में तब्दील करना बड़ी चुनौती है।
सुभासपा अध्यक्ष ने बलिया के रसड़ा में आयोजित पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह टिप्पणी की। राजभर ने दोहराया कि उन्हें कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के ज़रिए राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल होने का निमंत्रण मिला था, लेकिन पार्टी नेताओं के साथ चर्चा के बाद उन्होंने इस यात्रा में शामिल नहीं होने का फैसला किया।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि ''भारत के पास अपार ताक़त है, सरदार पटेल ने भारत को जोड़ा था, भारत न तो टूटा है और न टूटेगा, नेता टूटकर पाला बदला करते हैं।'' इस बीच राजभर ने कांग्रेस पर तंज़ कसते हुए सवाल किया कि ''कांग्रेस देश में लंबे समय से सत्ता में रही है, कांग्रेस ने सत्ता संभालते समय प्रेम क्यों नहीं बढ़ाया, जो लोग पहले कांग्रेस को वोट देते थे, आज वही भाजपा में हैं।''
सुभासपा अध्यक्ष ने दावा करते हुए कहा कि वह राजनीति में झूठ नहीं बोलते। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन न करने के कारण ही कांग्रेस विधानसभा के पिछले चुनाव में एक सीट पर सिमट गई।
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राजभर ने कहा कि यह गठबंधन का युग है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार गठबंधन की देन है, गठबंधन के कारण ही समाजवादी पार्टी (सपा) उत्तर प्रदेश में 47 सीट से 125 सीट पर पहुंच गई है। उन्होंने भाजपा से गठबंधन को लेकर पूछे जाने पर कहा कि राजनीति में कोई स्थाई दोस्त व दुश्मन नहीं होता है।
राजभर ने कहा कि किसी ने भी उत्तर प्रदेश में सपा व बहुजन समाज पार्टी, बिहार में नीतीश कुमार व लालू प्रसाद यादव और कश्मीर में भाजपा व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच गठबंधन की कल्पना नहीं की थी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा बहुत मज़बूत स्थिति में है और मौजूदा दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पटखनी देने की ताक़त किसी दल में नहीं है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के ज़िलों में प्रभाव वाले एक मज़बूत पिछड़े नेता राजभर ने राज्य में 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ लड़ा था, लेकिन बाद में अलग हो गए और सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गए।राजभर ने 2022 का विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा और छह सीटें जीतीं, लेकिन बाद में अलग हो गए। सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ओम प्रकाश राजभर की नज़दीकी हाल के दिनों में, ख़ासतौर से राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दिखाई दी है।