लखनऊ: नए साल में उत्तर प्रदेश विधानसभा भी बदली-बदली हुई नज़र आएगी। यूपी की विधानसभा की देश की सबसे बड़ी विधानसभा है। कुल-मिलाकर 403 सदस्यों वाली सूबे की पेपरलेस विधानसभा की सूरत बदले जाने से तमाम विधानसभा सदस्यों में ख़ासा उत्साह देखा जा रहा है। विधानसभा का सारा कामकाज ई -प्रणाली के तहत होने लगा था. इस बड़े बदलाव के बाद अब सदन की कार्यवाही को भी नए नियम क़ायदों से चलाया जाएगा, लिहाज़ा इसके लिए सदन संचालन की पुरानी गाइड लाइन को बदले जाने का फैसला लिया गया है।
दरअसल विधानसभा में सदन का संचालन नई रूल्स बुक के ज़रिए किया जाएगा। बाक़ायदा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने ख़ुद इसके लिए अपनी रजामंदी दे दी है। आपको बता दें कि क़रीब 64 साल पहले यानि की साल 1958 में बनी नियमावली को बदलने का रास्ता साफ़ हो चुका है। नतीजतन नए साल में सदन की कार्यवाही इसी नई रूल्स बुक के तहत संचालित की जाएगी। यही नहीं, बिना इजाज़त के सदन की कार्यवाही की लाइव ब्रोडकास्टिंग को असंवैधानिक माना जाएगा, जिसको अमलीजामा पहनाने के लिए लोकसभा की तर्ज पर यूपी विधानसभा में भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम लगाएगा जाएगा। इसके अलावा सदन में आने वाला हर विधायक अपनी हाज़िरी अपने टैबलेट में थंब इंप्रेशन के ज़रिए लगाएगा. साथ ही ऐसे कई अन्य बदलावों और सुधारों के चलते यूपी की विधानसभा देश के अन्य राज्यों के लिए एक रोल मॉडल बनेगी और अन्य राज्यों की विधानसभा में भी पुरानी गाइड लाइन बदलने की शुरुआत पर मंथन और विचार-विमर्श होंगे।
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यूपी की विधानसभा में होने वाले बदलावों को लेकर प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे खासे उत्साहित हैं, असल में उन्हीं की देख-रेख और 13 सदस्यीय कमेटी की देख-रेख में यूपी विधानसभा को नया रंग-रूप दिया जा रहा है। प्रदीप दुबे के मुताबिक़, विधानसभा की कार्यवाही का सोशल मीडिया पर लाइव टेलीकास्ट करने या उसे रोकने का कोई प्रावधान वर्ष 1958 की मौजूदा नियमावली में नहीं है, जिसका संज्ञान लेते हुए अब स्पष्ट नियम बनाए जाने पर सहमति बनी है। उन्होंने बताया कि विधानसभा में नई तकनीक के आने के बाद 64 साल पुरानी प्रक्रिया और कार्य संचालन की नियमावली को बदले जाने की ज़रूरत महसूस हुई, जिसके चलते ही इस दिशा में सलीक़े से काम का आग़ाज हुआ।
नई रूल्स बुक में दिए गए सुझाव
पुरानी गाइड लाइन बदल कर उसकी जगह पर नई रूल्स बुक तैयार करने में कुछ समय लगेगा और इसकी कई वजह हैं। पहली वजह है, विपक्ष का सरकार के हर फैसले का विरोध करना। ऐसे में विपक्षी नेताओं को समझा कर उनके साथ नई रूल्स बुक के सुझावों को चर्चा करने के लिए मनाना होगा, ताकि जल्द से जल्द यह कार्य पूरा हो सके। प्रदीप दुबे का कहना है कि जल्दी ही इस संबंध में बैठक होगी, जिसके सरकार और विपक्षी नेता रूल्स कमेटी के साथ विचार विमर्श करेंगे, फिर उसे सदन के पटल पर रखने की कार्यवाही होगी, तब जाकर इसे पास करने की पहल होगी।
प्रदीप दुबे ने एक मीडियाकर्मियों के एक सवाल के जवाब में बताया कि ‘ नोटिस पीरियड 14 दिनों का होता है, अब तकनीक के विस्तार को देखते हुए नोटिस पीरियड 7 दिनों का किए जाने की तैयारी है, इसके अलावा सदन के नियमों की भाषा को भी सरल किया जाएगा, क्योंकि नए विधायकों को समझने में दिक़्क़त होती है, विधानसभा के रूल 311 पर संशय बना रहता है, रूल 56 के तहत नोटिस जारी करने को लेकर भी भ्रम रहता है, जिसमें अब बदलाव करने के लिए सुझाव दिए गए है, इसके अलावा अभी के नियम के तहत विधानसभा में कमेटी के लिए महीने में दो बैठकों का प्रावधान है, विधानसभा अध्यक्ष इसे बढ़ाकर महीने में 5 से 7 तक करना चाहते हैं, विधायकों की मीटिंगों के लिए भत्ता भी बढ़ाए जाने का सुझाव दिया जा रहा है।’ प्रदीप दुबे के बकौल विधानसभा अध्यक्ष के मार्गदर्शन में कमेटी नई नियमावली बनाने पर काम कर रही है और इसके लागू होने से यक़ीनन सदन की गरिमा और बढ़ेगी, जनहित के निर्णय लेने में और सहूलियत होगी।
-PTC NEWS